Wednesday, September 28, 2011

वेद और विश्‍व-शांति Vedas and World Peace

1. हमारे चारों ओर दस्यू जाति के लोग हैं वह यज्ञ नहीं करते कुछ मानते नहीं, वह अन्यवृत व अमानुष हैं । हे ‘शत्रु हन्ता इन्द्र तुम इनका वध करो । (ऋगवेद 10-22-8)

2. इन्द्र तुम यज्ञाभिलाषी हो जो तुम्हारी निन्दा करता है उसका धन आहरत करके तुम प्रश्न होते हो, प्रचुरधन इन्द्र तुम हमें दोनों जांगों के बीच छुपा लो, और ‘ शत्रुओं को मार डालो । (ऋगवेद 8-59-10)

3. हे इन्द्र तो समस्त अनआर्यो को समाप्त कर दों । (ऋगवेद 1-5-113)

4. धर्मात्मा लोग अर्धमियों का नाश करने में सदा उधत रहते हैं । (अथर्व वेद 12-5-62)

5. उसकी दोनों आंखे छेद डालो, ह्रदय छेद डालो, आंखे फोड डालो, जीभ को काटो और दांतों का तोड डालो । (अथर्व वेद 5-29-4)

Vedas and World Peace



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